दुर-दुर रह कर भी हम कितने करीब हैं.......
हमारा रिश्ता भी कितना अजिब हैं.....
बिन देखे हि तेरा यू मोहब्बत करना मुझ से......
बस तेरी येही चाहत तो मेरा नसीब हैं.....
पर जिसे प्यार भी ना मिला हो किसी का.....
वो बद्किश्मत भी कितना गरीब यहां.......
और जिसे मिल गया हो तेरे जैसा यार यहां......
वो शख्स भी मेरे जैसा हि खुशनसीब हैं यहां.....
-Unknown
www.diludiary.blogspot.com
-------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------
0 comments:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો